नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष विराम एक द्विपक्षीय समझौते का परिणाम है, जिसका अर्थ है कि दोनों देश सीधी बातचीत के माध्यम से इस निर्णय पर पहुंचे हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया है कि इसमें कोई अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप नहीं है, खासकर अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है।
भारत हमेशा से पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को अपनी नीति के रूप में इस्तेमाल करने को लेकर चिंतित रहा है। जयशंकर ने कहा कि भारत को ऐसे खतरों का मुंहतोड़ जवाब देने का अधिकार है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे। जवाब में भारत ने सैन्य अभियान "ऑपरेशन सिंदूर" चलाया। इसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन समेत कई आतंकी संगठनों के 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए।
जयशंकर ने कहा कि सैन्य अभियान "ऑपरेशन सिंदूर" का एक विशिष्ट उद्देश्य है। विदेश मंत्री ने कहा कि इस ऑपरेशन से यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि अगर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई घटनाओं जैसी घटनाएं दोहराई गईं तो इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, "अगर आतंकवादी पाकिस्तान में हैं, तो हम वहां जाएंगे और उन्हें खत्म कर देंगे। आतंकवाद के खिलाफ नए भारत की यही नई नीति है। फिलहाल ऑपरेशन सिंदूर को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है, लेकिन ऑपरेशन को स्थायी रूप से नहीं रोका गया है। यदि आवश्यक हो या पाकिस्तान फिर से भारत को उकसाए तो भारत अभियान पुनः शुरू करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।" जयशंकर ने चेतावनी दी है।
"10 मई को पाकिस्तानी सेना ने सबसे पहले हॉटलाइन के ज़रिए युद्ध विराम का प्रस्ताव रखा था। वे सबसे पहले यह कहने के लिए तैयार थे कि वे गोलीबारी रोकने के लिए तैयार हैं। भारत ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।" जयशंकर ने बताया कि अमेरिका समेत कई देशों ने इस पर चिंता जताई है और दोनों पक्षों से बातचीत की है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि युद्ध विराम वार्ता केवल भारत और पाकिस्तान के बीच ही थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने खुद युद्ध विराम करवाया है और कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष हज़ारों सालों से चला आ रहा है। हालांकि, जयशंकर ने ट्रंप के बयान को खारिज कर दिया। विदेश मंत्री ने भारत का रुख दोहराते हुए कहा, "यह भारत और पाकिस्तान के बीच का मामला है। हम इसे द्विपक्षीय रूप से सुलझाना चाहते हैं।"
जयशंकर के बयानों से भारत की विदेश नीति का स्पष्ट संकेत मिलता है। जयशंकर के बयान से यह स्पष्ट संदेश मिलता है कि भारत अपनी सुरक्षा को बहुत महत्व देता है और आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करता।
दुनिया को पूरा भरोसा है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार है। भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध जटिल हैं और बातचीत और आपसी समझ के जरिए शांति स्थापित की जा सकती है। यदि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद कर दे तो दोनों देशों का भविष्य बेहतर हो सकता है।