यह सर्वविदित है कि हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई है। दुनिया ने यह भी देखा कि किस तरह भारत को संकटग्रस्त पाकिस्तान की देखभाल करनी पड़ी। लेकिन जब ऐसा लगा कि युद्ध छिड़ने वाला है, तभी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हस्तक्षेप किया। दुनिया भर में कहा गया कि ट्रंप की वजह से युद्ध रुका। अब ट्रंप ने फिर वही शब्द दोहराए हैं। उन्होंने एक बार फिर अपनी पीठ थपथपाते हुए कहा है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध को रोकने वाले वे ही थे।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, "मैंने पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध रोक दिया। मैं पाकिस्तान से प्यार करता हूं।" ट्रंप ने कहा, "मोदी एक बेहतरीन व्यक्ति हैं, मैंने कल रात उनसे बात की।" डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने का श्रेय लिया है।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत ने इस मामले में कभी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को स्पष्ट कर दिया था कि भारत पाकिस्तान से जुड़े मामलों में मध्यस्थता करने के लिए कभी सहमत नहीं हुआ है और न ही ऐसा करने के लिए कभी सहमत होगा। उन्होंने दोहराया कि नई दिल्ली कभी भी इस तरह के हस्तक्षेप के लिए सहमत नहीं हुई है।
भारत के साथ व्यापार समझौते की योजना का जिक्र करते हुए ट्रंप ने कहा, "हम भारत के मोदी के साथ व्यापार समझौता करने जा रहे हैं। लेकिन मैंने पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध रोक दिया है।" ट्रम्प ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर दोनों की प्रशंसा की।
पाकिस्तान की तरफ से युद्ध रोकने में इस मुनीर का बहुत बड़ा योगदान था। मोदी ने दूसरी तरफ से भी यही कहा। दोनों ही परमाणु शक्ति संपन्न देश युद्ध करने जा रहे थे। उन्होंने कहा, "मैंने दो प्रमुख परमाणु शक्तियों के बीच युद्ध को रोका। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसके बारे में कोई कहानी लिखी गई है।"
ट्रंप ने यह बयान मोदी के साथ टेलीफोन पर बातचीत के कुछ ही घंटों बाद दिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य अभियान को रोकने का निर्णय सीधे तौर पर दोनों सेनाओं द्वारा लिया गया था। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने मोदी के हवाले से कहा कि भारत ने कभी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है, न ही स्वीकार करता है और न ही कभी करेगा। अमेरिका-भारत व्यापार समझौते या युद्ध की स्थिति में वाशिंगटन द्वारा किसी हस्तक्षेप की कोई चर्चा नहीं हुई। मिसरी ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ।
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